Current Topic 07 – 05 – 2021
★ असम की छह युवा लड़कियो ने विकसित किया बायोडिग्रेडेबल ‘मुरहन योगा मैट’
√ ‘मुरहन योगा मैट’ असम के मछुआरे समुदाय की छह युवा लड़कियो द्वारा जलकुंभी से विकसित बायोडिग्रेबल तथा कंपोस्टेबल मैट है ।
√ इसे जल्द ही एक अनूठे उत्पाद के रूप में विश्व बाजार के सामने प्रस्तुत किया जायेगा ।
√ यह इस जलीय पौधे को समस्या से संपदा में बदल सकती है ।
√ ये लड़कियां मछुआरे समुदाय की है जो गुवाहाटी शहर के दक्षिण पच्छिम में एक स्थायी मीठे पानी की झील दिपोर बिल के बाहरी हिस्से में रहती है ।
√ यह झील मछुआरे समुदाय के 9 गावों के लिए आजीविका का एक स्त्रोत बनी हुई है जिन्होंने सदियो से इस बायोम को साझा किया है लेकिन पिछले कुछ वर्षो से वे जलकुंभीयो की अत्यधिक बढ़ोतरी तथा जमाव से पीड़ित है ।
√ इस कदम की शुरुआत भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्तशासी निकाय उत्तर पूर्व प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग एवं पहुचे केंद्र जिससे की जल कुंभी से संपदा बनाने के लिए छह लड़कियों के नेतृत्व में एक सामूहिक ‘सीमांग’ अर्थात स्वप्न से जुड़े समस्त महिला समुदाय को इसमें शामिल किया जा सके ।
√ जलकुंभी के गुणों तथा एक चटाई के प्रकार के उत्पाद की कार्यशील आवश्यकताओ के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, योग करने में उपयोग की जाने वाली हाथ से बुनी गई 100 प्रतिशत बायोडिग्रेडेबल तथा 100 प्रतिशत कंपोस्टेबल चटाई पर विविध इकोलॉजिकल तथा सामाजिक लाभ उपलब्ध कराने वाले एक माध्यम के रूप में विचार किया गया ।
√ काम सोरई (दिपोर बिल वन्य जीवन अभयारण्य का एक निवासी पक्षी पर्पल मुरहेन) के नाम पर इसका नाम ‘मुरहेन योगा मैट’ रखा गया है ।
√ जो एक कॉटन कैनवस के कपड़े के थैले में रखी जाती है ।
√ जिसमें किसी जीप या मेटल क्लोजर का उपयोग नहीं किया जाता ।
√ इसमें एडजस्ट करने वाला स्ट्रैप तथा क्लोजर्स है जिन्हें प्रभावी रूप से बायोडिग्रेडेबिलिटी के अनुरूप बनाया गया है ।
◆ दीपोर बील
√ असम के गुवाहाटी शहर के दक्षिण पश्चिम में एक स्थाई मीठे पानी की दीपोर बिल झील एक ‘महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र’ और एक रामसर साइट है ।
√ जिस के निकट एक आरक्षित वन भी है दीपोर बील ताजे पानी की एक झील है ।
√ और अतिक्रमण के कारण लंबे समय से इस के क्षेत्र में कमी हो रही है कभी 4,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला यह क्षेत्र अब घटकर 500 हेक्टेयर में सिमट गया है ।
√ दीपोर बील प्रवासी पक्षियों की 200 से अधिक प्रजातियों का वास स्थान है ।
√ वर्ष 2018 में राष्ट्र स्तरीय विश्व आर्द्र भूमि दिवस का आयोजन दीपोर बील में ही किया गया था ।