Current Topic 11 – 07 – 2021
★ पंजाब विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने की अंटार्कटिका में पौधों की एक नई प्रजाति की खोज
√ पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के ध्रुवीय जीव वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में पौधे की एक नई प्रजाति की खोज की है ।
√ इस प्रजाति के नमूने वर्ष 2016-2017 के अभियान के दौरान एकत्र किए गए थे ।
√ इन नमूनों पर किए गए पांच वर्षीय अध्ययन के पश्चात वैज्ञानिकों ने अंततः अंटार्कटिका की इस नई प्रजाति की पुष्टि कर दी है ।
√ वैज्ञानिकों ने इस नई प्रजाति का नाम देवी ‘सरस्वती’ के नाम पर ‘ब्रायम भारतीएंसिस’ रखा है ।
√ ज्ञात हो कि पौधों को जीवित रहने के लिए पोटेशियम, फॉस्फोरस, सूर्य के प्रकाश और पानी के साथ नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है ।
√ वही अंटार्कटिका का केवल 1 प्रतिशत हिस्सा ही वर्ष से मुक्त है, ऐसे में सबसे बड़ा प्रश्न यह था कि ‘काई’ की यह विशिष्ट प्रजाति चट्टान और बर्फ में इस क्षेत्र में किस प्रकार जीवित रही ।
√ वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि इस प्रकार की ‘काई’ मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में पाई जाती है जहां पेंगुइन बड़ी संख्या में प्रजनन करते हैं ।
√ पेंगुइन के मल में नाइट्रोजन होता है ।
√ ऐसे में पौधे मूल रूप से पेंगुइन के मल पर जीवित रहते हैं, जो उन्हें इस विशिष्ट जलवायु में जीवित रहने में मदद करते हैं ।
√ विदित हो कि यह खोज भारतीय अंटार्कटिका मिशन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्ष 1981 में मिशन की शुरुआत के बाद यह पहली बार है जब पौधों की किसी प्रजाति की खोज की गई है ।
√ अंटार्कटिका में भारत का पहला स्टेशन वर्ष 1984 में स्थापित किया गया था, जो कि वर्ष 1990 में बर्फ में दबा गया था ।
√ इसके पश्चात दो नए स्टेशनों- मैत्री और भारती को क्रमशः वर्ष 1989 और वर्ष 2012 में कमीशन किया गया, जो आज भी कार्य कर रहे हैं ।
◆ भारतीय अंटार्कटिका कार्यक्रम
√ यह नेशनल सेंटर फॉर अंटार्कटिक एंड ओशन रिसर्च के तहत एक वैज्ञानिक अनुसंधान और अन्वेषण कार्यक्रम है ।
√ इसकी शुरुआत 1981 में हुई थी जब अंटार्कटिका के लिए पहला भारतीय अभियान बनाया गया था ।
√ NCPOR देश में ध्रुव और दक्षिणी महासागरीय वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ-साथ संबंधित रसद गतिविधियों की योजना, प्रचार, समन्वय और निष्पादन के लिए नोडल एजेंसी है ।
√ इसकी स्थापना 1998 में हुई थी ।