Current Topic 18 – 06 – 2021
★ नेशनल जियोग्राफिक पत्रिका ने घोषित किया दुनिया का पॉचवा महासागर
√ हाल ही में नेशनल ज्योग्राफिक पत्रिका ने ‘दक्षिणी महासागर’ को इस व के पांचवे महासागर के रूप में मान्यता दी है ।
√ यह सीधे अंटार्कटिका को घेरता है, जो ड्रेक पैसेज और स्कोटिया सागर को छोड़कर महाद्रीप के समुद्र तट से 60 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक फैला हुआ है ।
√ दक्षिणी महासागर एकमात्र ऐसा महासागर है जो तीन अन्य महासागरों (प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर) को छूता है और एक महाद्वीप से पूरी तरह से घिरे होने के बजाय उसे घेरता है ।
√ इसके अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट द्वारा भी इसे परिभाषित किया गया है जिसका विकास 34 मिलियन वर्ष पहले हुआ था ।
√ अंटार्कटिका के चारों और पश्चिम से पूर्व की ओर महासागरीय धाराएं प्रवाहित होती है ।
√ इससे पहले इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन ने भी वर्ष 1937 में ‘दक्षिणी महासागर’ को अंटार्कटिका के आस-पास के जल के एक अलग भाग के रूप में मान्यता दी थी लेकिन वर्ष 1953 में इसे निरस्त कर दिया था ।
√ इस पांचवें महासागर के अलावा अन्य चार महासागर अटलांटिक, प्रशांत, हिंद और आर्कटिक महासागर है ।
√ ग्लोबल वार्मिंग के कारण दक्षिणी महासागर के तेजी से गर्म होने के अलावा, क्रिल और पेटागोनियन टूथफिश जैसी मछलियों की कमी दशकों से चिंता का विषय रहा है ।
√ अब इन मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने की उम्मीद है ।
◆ इंटरनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑर्गेनाइजेशन
√ अंतर्राष्ट्रीय हाइड्रोग्राफिक संगठन एक अंतर सरकारी परामर्शदाता और तकनीकी संगठन है ।
√ जिसे वर्ष 1921 में नेविगेशन की सुरक्षा एवं समुद्री पर्यावरण की सुरक्षा का समर्थन करने के लिए स्थापित किया गया था ।
√ भारत भी IHO का सदस्य है ।
◆ अंटार्कटिक सर्कम्पोलर करंट
√ ACC वैश्विक महासागर में एकमात्र ऐसी धारा है जो एक सर्कम्पोलर लूप में अपने आप बंद हो जाती हैं ।
√ ACC की यह विशेषता इसे पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में सबसे महत्वपूर्ण धारा बनाती है क्योंकि यह अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागरो को जोड़ती है और ऊष्मा, कार्बन डाइऑक्साइड, रसायन, जीव विज्ञान तथा अन्य ट्रेसर के अंतर-बेसिन विनिमय का प्राथमिक साधन है ।
√ ACC का विकास दक्षिणी महासागर में तेज पछुआ हवाओं के संयुक्त प्रभावों और भूमध्य रेखा तथा ध्रुवों के बीच सतह के तापमान में बड़े बदलाव के कारण हुआ है ।
√ जैसे-जैसे जल ठंडा होता है यह और अधिक खारा होता जाता है, वैसे-वैसे समुद्र का घनत्व बढ़ता जाता है ।
√ उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र का गर्म, सतह का खारा जल अंटार्कटिका के नजदीक ठंडे, ताजे जल की तुलना में बहुत हल्का होता है ।
√ नियत घनत्व स्तरों की गहराई अंटार्कटिका की और ढलान बनाती है ।
√ पछुआ पवने इस ढलान को और भी तीव्र कर देती है और ACC इसके साथ-साथ पूर्व की ओर चलती है, जहां ढलान तीव्र होता है वहॉ ACC की गति बढ़ जाती है और जहां कम होता है वहाँ गति कम हो जाती है ।