Current Topic 22 – 06 – 2021
★ प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी को दिया जाएगा ‘लैंड फॉर लाइफ’ अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड
√ 17 जून, 2021 को विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र संघ के भूमि संरक्षण से संबंधित सबसे बड़े संगठन ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम कन्वेशन’ द्वारा हर दो साल के अंतराल पर किए जाने वाले भूमि संरक्षण से संबंधित दुनिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय अवार्ड ‘लैंड फॉर लाइफ’ के लिए इस बार भारत के प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी को नामित किया गया है ।
√ प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी को यह पुरस्कार उनके द्वारा विकसित पारिवारिक वानिकी अवधारणा के लिए दिया जाएगा ।
√ वर्ष 2021 में इस पुरस्कार के लिए पूरी दुनिया से 12 लोगों/संस्थाओं को फायनलिस्ट घोषित किया गया और मरुस्थलीकरण एवं सुखा रोधी दिवस पर कोस्टा रिका में आयोजित मुख्य कार्यक्रम में इस वर्ष के पुरस्कार हेतु प्रोफेसर ज्याणी के नाम की घोषणा की गयी है ।
√ प्रोसेसर ज्याणी को अगस्त, 2021 के आखिर में चीन में आयोजित होने वाले विशेष समारोह में इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा ।
√ हालांकि इस बार अंतिम 12 नामों में भारत से ज्याणी के अलावा सद्गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन और दुनियाभर में चर्चित उनके कार्यक्रम रेली फॉर रिवर को भी शामिल किया था, लेकिन अंतिम तौर पर ज्याणी के कार्यों को तरजीह देते हुए इस पुरस्कार हेतु चुना गया है ।
√ इसके अलावा अगले दो वर्षों तक UNCCD के अम्बेसेडर के तौर पर दुनियाभर में भूमि संरक्षण के प्रयासों को गति व मजबूती देने में प्रोफेसर ज्याणी कि अहम और वैश्विक भूमिका रहेगी और ज्याणी के वीजा से लेकर आने-जाने, रहने आदि सभी तरह की व्यवस्थाओं का पूरा खर्च व समस्त जिम्मेदारी पूरी तरह से UNCCD द्वारा वहन की जाएगी ।
√ वर्ष 2012 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी श्यामसुंदर ज्याणी को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था ।
√ इसके अलावा लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस मे भी वृक्षारोपण के तीन रिकॉरड ज्याणी अपने नाम कर चुके हैं ।
◆ प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी
√ श्री गंगानगर जिले की रायसिंहनगर तहसील के गांव 12 टी.के. के मूल निवासी व वर्तमान में बीकानेर के राजकीय डूंगर कॉलेज में समाजशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी पिछले दो दशक से पश्चिमी राजस्थान के मरुस्थल में पेड़ को परिवार का हिस्सा बनाकर जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव लाने में कामयाब हुए हैं ।
√ इस बेदह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हेतु दुनियाभर से सरकारो, संयुक्त राष्ट्र संघ के संगठनों, अलग-अलग क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्तियों द्वारा भूमि संरक्षण हेतु कार्य कर रही संस्थाओं व्यक्तियों का मनोनयन किया जाता है ।
√ उसके पश्चात UNCCD द्वारा गठित अंतरराष्ट्रीय निर्णायक मंडल द्वारा गहराई से उन व्यक्तियों/संगठनों के कार्यों की समीक्षा करके कुछ नामों को अंतिम तौर पर फाइनलिस्ट के रूप में जारी किया जाता है ।
√ UNCCD ने ज्याणी कि पारिवारिक वानिकी अवधारणा को वनीकरण का अनूठा विचार बताते हुए इसे पारिस्थितिकी अनुकूल सभ्यता के विकास के एक प्रभावी तरीके के तौर पर उल्लेखित किया है और लिखा है कि 15000 से अधिक गांवों के दस लाख से ज्यादा परिवारों को जोड़ते हुए ज्याणी द्वारा 25 लाख वृक्षारोपण करवाया जा चुका है ।
√ राजकीय डूंगर कॉलेज परिसर में ही ज्याणी ने 6 हेक्टेयर भूमि पर 3000 पेड़ों का एक जंगल खड़ा कर दिया है जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित पैनल के फार्मूले के अनुसार गणना करने पर आज की तारीख में 1 अरब 8 करोड रुपए मूल्य की ऑक्सीजन उत्पन्न कर रहा है ।