Current Topic 24 – 06 – 2021
★ 30 वर्षों से सेवा दे रहा हबल टेलीस्कोप हुआ बंद
√ वर्ष 1990 से स्थापित हबल टेलीस्कोप बीते नौ दिनों से ठप पड़ा है ।
√ यह टेलीस्कोप अंतरिक्ष में धरती से करीब साढे 500 किमी की. ऊंचाई पर स्थित है ।
√ इस टेलीस्कोप के एक कंप्यूटर में आई खराबी के कारण यह सब सेफ मोड में चला गया है ।
√ बीते नौ दिनों से हबल टेलीस्कोप से मिलने वाला सिग्नल ‘कीप अलाइव’ भी नहीं मिल रहा है और न ही कोई तस्वीर ही इससे मिल सकी है ।
√ फिलहाल नासा के वैज्ञानिक अपनी तरह से इसके सिस्टम में आई खराबी को दूर कर इसका फिर से शुरू करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें इस काम में कोई सफलता हासिल नहीं हुई है ।
√ इस ने अपने तीस वर्ष के कार्यकाल में अनगिनत ऐसे रहस्य से पर्दा उठाया है ।
√ यह टेलीस्कोप ठप होने से पहले करीब 15 लाख ऑब्जरवेशन कर चुका है ।
√ इसकी मदद से अंतरिक्ष से जुड़ी रिसर्च के करीब 18 हजार पेपर अब तक 9 लाख बार पब्लिश किए जा चुके हैं ।
√ इस टेलिस्कोप ने केवल वैज्ञानिकों को नेबुला, नोवा, सुपरनोवा, की ही जानकारी नहीं दी है बल्कि करोड़ों और अरबों किमी. दूर विभिन्न गैलेक्सीयों की जानकारी दी है ।
√ अब तक करीब 6 अरब किमी का सफर कर चुके इस टेलिस्कोप 27 हजार किमी प्रति घंटा है ।
√ ये धरती का चक्कर 27 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लगाता है ।
√ यह हर वर्ष 150 टीबी के बराबर डाटा जनरेट कर धरती पर भेजता रहा है ।
√ धरती पर इसका वजन करीब 12200 किग्रा है, लेकिन अंतरिक्ष में इसका वजन करीब 10800 किग्रा है ।
√ इस टेलिस्कोप की लंबाई की बात करें तो यह करीब 43 फीट है ।
√ इसके मीरर की चौड़ाई करीब 8 फिट की है ।
√ इसमें लगे 25 फीट लंबे सोलर पैनल इसको सौर ऊर्जा देते हैं ।
√ 24 अप्रैल, 1990 को इस टेलीस्कोप को डिस्कवरी शटल की मदद से छोड़ा गया था और 25 अप्रैल, 1990 से इसने काम करना शुरू किया था ।
√ 20 मई, 1990 को इसने पहली बार इमेज भेजी थी, जो एक स्टार क्लस्टर की थी, जिसको एनजीसी 3532 का नाम दिया गया था ।
◆ विश्व का सबसे बड़ा जलमग्न न्यूट्रिनो टेलीस्कोप
√ हाल ही में रूसी वैज्ञानिकों द्वारा साइबेरिया में स्थित दुनिया की सबसे गहरी झील बैकाल झील के पानी में ‘बैकाल-जीवीडी’ नामक विश्व का सबसे बड़ा जलमग्न न्यूट्रिनो टेलीस्कोप स्थापित किया गया है ।
√ यह विश्व के सबसे बड़े तीन न्यूट्रिनो डिटेक्टर्स में से एक है ।
√ अन्य दो न्यूट्रिनो डिटेक्टर्स, दक्षिणी ध्रुव पर स्थापित ‘आइस्क्यूब’ तथा भूमध्य सागर में स्थापित ‘एंटेयर्स’ है ।
√ इसका उद्देश्य ‘न्यूट्रिनो’ नामक दुष्प्राप्य मूलभूत अणुओं के बारे में विस्तार से अध्ययन करना तथा उनके संभावित स्त्रोतों का पता लगाना है ।
√ वर्ष 1930 में स्विस वैज्ञानिक वोल्फगैंग पाउली द्वारा प्रस्तावित ‘न्यूट्रिनो’ ब्रह्मांड में ‘फोटॉन’ अणुओ, जो प्रकाश का निर्माण करते हैं, के पश्चात सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाले दूसरे अणु है ।