Current Topic 27 – 05 – 2021
★ पहली बार वैज्ञानिकों ने बनाया मिनी हार्ट, धड़कन 25 दिन के भ्रूण की तरह, खुलेगा दिल की बीमारी का राज
√ हाल ही में ऑस्ट्रिया के वैज्ञानिकों ने पहली बार लैब में एक कृत्रिम ‘मिनी हार्ट’ विकसित किया है ।
√ मानव स्टेम सेल से बना तिल के बीज के आकार का यह कृत्रिम हार्ट 25 दिन के इंसानी भ्रूण में धड़कने वाले ह्दय के समान है ।
√ यह एक मिनट में लगभग 60 से 100 बार धड़कता है ।
√ इसे कार्डिओइड नाम दिया गया है ।
√ ऑस्ट्रिया साइंस एकेडमी के वैज्ञानिकों का कहना है कि कृत्रिम हार्ट बनाने में मिली सफलता के बाद वे दिल से जुड़ी तमाम बीमारियों के रहस्य को जान सकेंगे ।
√ यहां तक कि दिल का दौरा पड़ने के बाद शिशुओं के दिल क्यों नहीं झुलसते, इसका भी पता चल जाएगा ।
√ इस ह्दय को वर्ष 2020 से लैब में तैयार किया जा रहा था लेकिन इस समय इसे चूहों के स्टेम सेल्स से बनाया गया था लेकिन अब इसे दुबारा ह्यूमन स्टेम सेल्स से बनाया गया है ।
√ हालांकि, इसके पहले चीन के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम दिल बनाने का दावा किया था लेकिन वह स्टेम सेल से नहीं बना था ।
√ इसमें रॉकेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया था ।
√ इसे बनाने में चुंबकीय और द्रव लैविटेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया था ।
◆ ‘जेनोबोटस’ रोबोट
√ वर्ष 2020 में वर्मोट विश्वविद्यालय और टफ्ट्स विश्वविद्यालय के एलेन सेंटर के वैज्ञानिकों ने मिलकर मेढकों की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग कर विश्व का प्रथम जीवित ‘जेनोबोट्स’ नामक रोबोट बनाया था जिसका अप्रैल, 2021 में नया वर्जन बना दिया है ।
√ इस नए वर्जन में जेनोबोट्स खुद को ठीक करने में सक्षम है ।
√ वे यादें रिकॉर्ड कर सकते हैं ।
√ इसका नाम एक अफ्रीकी मेंढक जेनोपस लाविस मेंढक के नाम पर रखा गया है ।
√ जिन्होंने रोबोट बनाने के लिए कोशिकाओं की आपूर्ति की ।
√ जेनोबोट्स पारंपरिक रोबोट की तरह नहीं दिखते बल्कि गुलाबी मांस के एक छोटे से बूंद की तरह दिखते हैं ।
√ इन रोबोटों का उपयोग बीमारियों का पता लगाने और शरीर के विशिष्ट क्षेत्रों में दवाओं को पहुंचाने के लिए किया जाएगा ।