Current Topic 27 – 06 – 2021
★ DRDO ने सबसोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय का किया सफल परीक्षण
√ 24 जून, 2021 को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने ओडिशा तट के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से 1000 किलोमीटर की दूरी के साथ अपनी सबसोनिक क्रूज परमाणु-सक्षम मिसाइल निर्भय का सफल परीक्षण किया ।
√ DRDO के सूत्रों ने कहा कि मिसाइल का परीक्षण 24 जून, 2021 को लगभग 10 बजकर 45 मिनिट पर आईटीआर के III के लॉन्च कॉम्प्लेक्स से किया गया ।
√ यह मिसाइल की आठवीं परीक्षण उड़ान थी ।
√ निर्भर की पहली टेस्ट फ्लाइट 12 मार्च, 2013 को हुई थी ।
√ गति के आधार पर ऐसी मिसाइलों को उपध्वनिक/सबसोनिक, पराध्वनिक/सुपरसोनिक और अतिध्वनिक/हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों के रूप में वर्गीकृत किया गया है ।
√ भारत की निर्भय मिसाइल की तुलना अमेरिका के टॉमहोर और पाकिस्तान के बाबर मिसाइल से की जाती है ।
√ करीब 300 किलोग्राम तक परमाणु अस्त्र ले जाने में सक्षम और अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से लैस निर्भय को जमीन की सतह, हवा और पानी के नीचे पनडुब्बियों से भी छोड़ा जा सकता है ।
√ सूत्रों ने कहा कि दो चरणों वाली इस ‘निर्भय’ मिसाइल ने लक्ष्य के लिए अपने पूरे रास्ते में एक अनूठी ट्रेजेक्टरी ली ।
√ सतह पर चलने वाली मिसाइल होने के कारण निर्भय को दुश्मन के रडार से पहचानना मुश्किल है ।
√ सूत्रों ने कहा कि मिसाइल अपने लक्ष्य के क्षेत्र को कई मिनट तक घेरती रहती है और फिर सही समय पर सही जगह से टकराती है ।
√ इससे पहले इसी साल मार्च महीने में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने ठोस ईंधन वाली रैमजेट मिसाइल प्रणोदन प्रणाली का ओडिशा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से सफल उड़ान परीक्षण किया ।
√ डीआरडीओ ने एक बयान में कहा कि बूस्टर मोटर और नोजल-लेस मोटर सहित सभी उप प्रणालियों ने उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन किया ।
√ वर्तमान में एसएफडीआर मिसाइल प्रपल्शन टेक्नोलॉजी विश्व में सिर्फ गिने-चुने देशों के पास ही उपलब्ध है ।
√ वहीं इससे पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने 28 फरवरी को हिंद महासागर क्षेत्र में सैन्य और मर्चेंट नेवी के जहाजों की गतिविधियों की निगरानी के वास्ते डीआरडीओ की तरफ से विकसित एक उपग्रह ‘सिंधु नेत्र’ प्रक्षेपित किया था ।
◆ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
√ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है ।
√ वर्तमान में डॉ. जी. सतीश रेड्डी DRDO के चेयरमैन है ।
√ DRDO की स्थापना वर्ष 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन के साथ भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान तथा तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय के संयोजन के बाद की गई थी ।
√ DRDO वर्तमान में 52 प्रयोगशालाओं का एक समूह है जो रक्षा प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों जैसे- वैमानिकी, शस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहन, इंजीनियरिंग प्रणालियों, इंस्ट्रूमेंटेशन, मिसाइलें, उन्नत कंप्यूटिंग और सिमुलेशन, विशेष सामग्री, नौसेना प्रणाली, लाइफ साइंस, प्रशिक्षण, सूचना प्रणाली तथा कृषि में कार्य कर रहा है ।